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Quick Overview दर्शन शास्त्र में शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध पांच स्कंध हैं, और जैन धर्म में पिंड को स्कंध कहा गया है ׀ बौद्ध धारणा अनुसार रुप, वेदना, विज्ञान, संज्ञा और संस्कार शारीर के पांच स्कंध हैं ׀ और इन स्कंधो के अतिरिक्त, स्कंध विहीन आत्मा अस्वीकार है ׀ अंगस्कंध इन दो शब्दों की संधि से बना है׀ इस पुस्तक के शीर्षक में अंग का तात्पर्य शारीर से है और स्कंध का दर्शन और बोद्ध पांच पांच स्कंधो से ׀ इसमें जहाँ सूत्रधार दार्शनिक स्कंध इस्तेमाल करके अपने शब्दों के माध्यम से रूप, रस और गंध का स्पर्श करवाता है वहीँ नायक विशेष अपने जीवन मैं अलग अलग कहानियों में रूप, वेदना, विज्ञानं, संज्ञा और संस्कार का अनुभव करता है ׀ इस उपन्यास में नायक के शरीर द्वारा भोगे गए यही स्कंध सूत्रधार द्वारा दार्शनिक तरीके से सूत्रों में पिरोये एवं परोसे गए हैं ׀

ISBN: 978-81-934302-4-8

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Binding: Paper back
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Manoj Pandey

डा. मनोज पाण्डेय का जन्म १ मई १९६६ में सहारनपुर में हुआ| वे अपने परिवार में सबसे छोटे थे| उनकी प्रारंभिक शिक्षा सहारनपुर, भटिंडा एवं दिल्ली में हुई| १९८५ में आप काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में डाक्टरी की पढाई के लिए गए, आपने एम. बी.बी. एस १९८९ में उत्तीर्ण करने के पश्चात सर्जरी में मास्टर्स डिग्री हासिल की|

१९९६ में आपने कैंसर शल्य में अधिसदस्यता गुजरात कैंसर अनुसन्धान केंद्र से प्राप्त की| उसी साल आप प्रादेशिक कैंसर केंद्र थिरुवनंतपुरम में व्यख्याता के पद पर पदस्त हुए|

मार्च २००५ तक सेवा के पश्चात डा पाण्डेय भोपाल के जवाहरलाल कैंसर अस्पताल में कुछ समय कार्य करने के बाद पुनः अपनी कर्मभूमि, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की ओर अग्रसर हो गए|

२००५ से २०१३ तक कैंसर शल्य विभाग में पदस्थ हो अपनी सेवा प्रदान करते रहे| २००७ से वे इस विभाग में विभागाध्यक्ष भी रहे|

२०१३ जुलाई में डा पाण्डेय की नियुक्ति भिपल स्मारक अस्पताल एवं अनुसन्धान केंद्र, जो भोपाल गैस त्रासदी के पीडितों की सेवा के लिए स्थापित किया गया है, के निदेशक के पद पर हुई| उन्हें राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य अनुसन्धान संसथान के निदेशक का अतिरिक्त भार भी प्रेषित किया गया|

कई प्रतिष्टित पुरुस्कारों से सम्मानित डा पाण्डेय ने अपने कार्य क्षेत्र में उल्लेखनीय शैक्षिक एवं वैज्ञानिक योगदान दिए है| डा पाण्डेय बहुमुखी प्रतिभा के धनि है|

अत्यंत कलात्मक व्यक्तित्व एवं जमीन से जुड़े परिश्रमी कार्य क्षमता रखने वाले, डा मनोज पाण्डेय एक सफल चिकित्सक होने के साथ दार्शनिक, विचारक, कवि, लेखक, छायाकार और प्रकृति प्रेमी भी हैं|

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