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Quick Overview भावनाओं से खेलते, हुए हम, पत्थर से हो गए हैं ! और हमें लगा, कि शायद हम, भगवान बन गए हैं !

ISBN: 978-81-931624-7-7

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Binding: Paperback
$ 3.91
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" पुरुष और स्त्री के रिश्तों की कशमकश, पुरुषों द्वारा स्त्री के देह शोषण की मानसिकता, समाज में ढकी छुपी गंदगी, अनैतिकता, अज्ञानता, समाज में व्यापित घोर अन्धकार और कालेपन को दीप्तिमान कर आइना दिखाने का साहस डा. चन्दन ने अपनी कविताओं में किया है। कुछ
अस्पष्ट, गुप्त, धुंधले और दुःखद विषय कविताओं में माध्यम से इस संकलन में उठाये है। सामयिक विषयों को सूक्ष्म दृष्टि से देख, कहीं कहीं
कवि अवसरवादी, तो कहीं निराशावादी दिखता है, तो कहीं उम्मीद की एक झीनी सी किरण भी दिखाई देती है।"

मनोज पाण्डेय 

Dr. Chandan Srivastava

डॉ. चन्दन श्रीवास्तव युवा कवि और लेखक हैं  आपका जन्म बिहार राज्य के पश्चिमी चंपारण जिले के बेतिया शहर में हुआ था । आप पेशे से चिकित्सक है और इन्होने आधुनिक चिकित्साशास्त्र में स्नातक की उपाधि ग्रहण की है । लेखन के प्रति इनकी रूचि बचपन से ही रही है । ये अपने विद्यालय की साहित्यिक पुस्तिका के संपादक भी रह चुके हैं । विद्यालय, महाविद्यालय और राष्ट्रिय स्टार पर इन्होने कई पुरूस्कार भी हासिल किये हैं । आयुर्विज्ञान महाविद्यालय, कशी हिन्दू विश्वविद्यालय  में चिकित्साशास्त्र के अध्यन के प्रथम वर्ष में इन्हें "साल का सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक व्यक्ति (पुरुष)" का सम्मान मिला था । वर्तमान में हिंदी, भोजपुरी और अंग्रेजी भाषाओँ में आप का सतत लेखन जारी है । 

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