आप निरंतर अपनी भूमिका तैयार करते रहते हैं, अपनी
पात्रता को निखारते रहते हैं, उसे गहरा करते रहते हैं, जिससे आपको जीवन में अच्छी सीख मिल सके। किन्तु अगर
यह आरम्भ प्रकाश के साथ न हो तो यह धीरे-धीरे परिग्रह का रूप ले लेता है, जिसे आप अपने पास रख तो सकते हैं परन्तु उसका उपयोग
नहीं कर पाते अतः यह आरम्भ-परिग्रह त्यागने योग्य है। मेरे जीवन में सदैव यह
प्रयास रहा कि मैं अपनी पात्रता इस तरह रख सकूँ कि मेरे जीवन में हर क्षण एक नए
प्रारंभ की भूमिका बन सके, प्रकाश की ओर ले जा सके।
यह प्रकाश हम सभी के जीवन में निरंतर चलता रहता है पर हम अंधकार में डूबे हुए, इस प्रकाश से चैंधियाते हुए इस प्रकाश को संजोने की
पात्रता विकसित नहीं कर पाते और जीवन व्यर्थ गवां कर अंधकार में मिलने की तैयारी
कर लेते हैं। मैं भाग्यशाली हूँ कि मुझे अपने पारिवारिक संस्कारों में स्वयं के
प्रकाश की ओर दृष्टि डालने का अवसर प्राप्त हुआ जो आज मैं बहुत स्पष्ट देख पाती
हूँ।
आज मैं जिस दृष्टि को अपने भीतर जगा पाई हूँ उस दृष्टि तक पहुँचाने में इन
कविताओं का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। जैसा की चीन के महान दार्शनिक लाओज़ी ने यह
कहा है कि-मीलों का सफ़र एक कदम से प्रारंभ होता है। ये छोटा सा कदम प्रारंभ है, मुझे अपने ही प्रकाश में अपने भीतर की सहस्त्र मीलों
की यात्रा पूर्ण करने हेतु।
Nehal Shah
नेहल शाह का जन्म 31 मई सन् 1982 में गाडरवारा,
जिला
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश में एक सुसंस्कृत जैन परिवार में हुआ। उनके पिता श्री सनत
कुमार जैन सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त है, एवं माँ श्रीमती
चंद्रप्रीति जैन बहुत ही, धार्मिक महिला है। वर्तमान में भोपाल स्मारक अस्पताल
एवं अनुसन्धान केंद्र, केंद्र सरकार द्वारा संचालित अस्पताल में भौतिक चिकित्सक
(फिज़ियोथेरेपिस्ट) के पद पर दस साल से कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा
टैगोर विद्या निकेतन स्कूल से उच्चतर शिक्षा, बैचलर ऑफ़
फिजियोथेरेपी, भोपाल के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय से एवं मास्टर्स ऑफ़ फिजियोथेरेपी
अलाहबाद एग्रीकल्चर इंस्टिटयूट एंड डीम्ड यूनिवर्सिटी से पूर्ण की। वर्तमान में वे
पुणे के सिम्बायोसिस विश्वविद्यालय से पी एच डी कर रही हैं। उन्होंने सन् 2002
से
(अपने कॉलेज के द्वितीय वर्ष से) हिंदी
में लेखन, प्रमुखतः कविताओं के रूप में प्रारम्भ किया। अब तक वे लगभग 250
कवितायें
30 कहानियाँ एवं कई लेख लिख चुकी हैं। वे बुलंद प्रजातंत्र नामक समाचार
पत्र, जो दिल्ली से प्रकशित होता है, के लिए नियमित
लेख लिखती हैं। उनकी ब्लॉग लिखने में रूचि है एवं छोटे बच्चो के लिए शिक्षाप्रद कहानियाँ भी लिखती हैं। अभी
हाल ही में उनकी कहानी बालहंस पत्रिका के जुलाई 2016 के अंक में एवं
कवितायें वागर्थ के अक्टूबर 2016 के नवलेखन अंक में प्रकाशित हुयी हैं। वे अभी
अपने अगले कविता संकलन, कहानी संकलन एवं उपन्यास पर कार्य कर रही हैं ।