अनजाने पल” मेरी रचनाओं का प्रथम संकलन है जो व्यावसायिक जीवन के पलों से दूर, विभिन्न चित्तवृत्ति के उद्गार हैं जिन्होंने कविता का रूप लिया। ये उन पलों की अनुभूतियाँ हैं जहाँ मेरे अंतर्मन के लेखक का जुड़ाव मुझसे हुआ और मैं शब्दों को भावमाला में पिरोता गया। इस कविता संकलन के माध्यम से एक चिकित्सक, एक प्रेमी, एक पति, एक पिता और एक सामाजिक प्राणी की लेखनी पाठकों तक पहुँचाने और हर व्यक्ति के अन्दर सृजनात्मक भाव जगाने का प्रयास है। यह मात्र कविता की पुस्तक ही नहीं मेरे छायाचित्रों का एक संकलन भी है जो कल्पना को जीवंत कर देते हैं।
Manoj Pandey
डा. मनोज पाण्डेय का जन्म १ मई १९६६ में सहारनपुर में हुआ| वे अपने परिवार में सबसे छोटे थे| उनकी प्रारंभिक शिक्षा सहारनपुर, भटिंडा एवं दिल्ली में हुई| १९८५ में आप काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में डाक्टरी की पढाई के लिए गए, आपने एम. बी.बी. एस १९८९ में उत्तीर्ण करने के पश्चात सर्जरी में मास्टर्स डिग्री हासिल की|
१९९६ में आपने कैंसर शल्य में अधिसदस्यता गुजरात कैंसर अनुसन्धान केंद्र से प्राप्त की| उसी साल आप प्रादेशिक कैंसर केंद्र थिरुवनंतपुरम में व्यख्याता के पद पर पदस्त हुए|
मार्च २००५ तक सेवा के पश्चात डा पाण्डेय भोपाल के जवाहरलाल कैंसर अस्पताल में कुछ समय कार्य करने के बाद पुनः अपनी कर्मभूमि, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की ओर अग्रसर हो गए|
२००५ से २०१३ तक कैंसर शल्य विभाग में पदस्थ हो अपनी सेवा प्रदान करते रहे| २००७ से वे इस विभाग में विभागाध्यक्ष भी रहे|
२०१३ जुलाई में डा पाण्डेय की नियुक्ति भिपल स्मारक अस्पताल एवं अनुसन्धान केंद्र, जो भोपाल गैस त्रासदी के पीडितों की सेवा के लिए स्थापित किया गया है, के निदेशक के पद पर हुई| उन्हें राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य अनुसन्धान संसथान के निदेशक का अतिरिक्त भार भी प्रेषित किया गया|
कई प्रतिष्टित पुरुस्कारों से सम्मानित डा पाण्डेय ने अपने कार्य क्षेत्र में उल्लेखनीय शैक्षिक एवं वैज्ञानिक योगदान दिए है| डा पाण्डेय बहुमुखी प्रतिभा के धनि है|
अत्यंत कलात्मक व्यक्तित्व एवं जमीन से जुड़े परिश्रमी कार्य क्षमता रखने वाले, डा मनोज पाण्डेय एक सफल चिकित्सक होने के साथ दार्शनिक, विचारक, कवि, लेखक, छायाकार और प्रकृति प्रेमी भी हैं|