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Quick Overview आँखों से रंगीन चश्मा उतार कर तो देख, कुहरे सी छाई है ये, पर धूप चमकीली नहीं है

ISBN: 978-81-931624-2-2

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Binding: Paperback
$ 4.50
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अंजुरी भर ओस ” शीर्षक के अनुरूप शैली चतुर्वेदी का यह कविता संकलन ग्रीष्म ऋतु में ठंडक अथवा सर्द ऋतु में गरमाहट का अनुभव देता है । विरासत में मिला लेखन का गुण उनकी कविताओं से झलकता है । पाठकों को अत्यंत सरल किन्तु प्रभावी भावों से भरा कविता का नजराना इस पुस्तक के माध्यम से मिलेगा श्रीमती शैली चतुर्वेदी की इन कविताओं के संकलन में कहीं रोजमर्रा की ज़िंदगी तो कहीं मुहब्बत के दर्द की दास्ताँ पाठकों को गुदगुदा जायेगी। लीक से हटकर हर रचना एक नयापन लिए हुए है और एक उभरते हुए रचनाकार के उदभावों को बखूबी दर्शाती हैं। उम्मीद है कविता प्रेमी इस संकलन की हर रचना का आनंद लेकर  व्यस्त जीवन के उलझे हुए क्षण सुलझा सकेंगे। 

Shaily Chaturvedi

शैली चतुर्वेदी का जन्म कानपुर में ३ सितंबर १९७५ को हुआ अपने पिताजी के स्थानान्तरण की वजह से इनकी पढाई कई जगहों से हुई | मेरठ से इन्होने कक्षा १२ वी पास की| लिखने का कीड़ा इन्हें बचपन से ही काट चुका था, पिताजी और बाबा दोनों ही उच्च कोटि के कवि थे| तो कुछ खून में काव्य की मिलावट तो थी ही| इनकी कुछ कविताएँ पत्र-पत्रिकाओं में छप चुकी है| "बालक" नामक हिन्द युग्म से निकली किताब में इनकी भी कुछ प्रतिनिधि कविताएँ प्रकाशित हुई है|

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